पहले अपने आप जानना होगा। किस कार्य
से हम प्रेम करते हैं-उसे जानना होगा। नूतन
समाज के निर्माण के लिए यही एकमात्र मार्ग है।
जब हम अपनी पूरी शक्ति के साथ एक नूतन
विश्व के निर्माण करने की आवश्यकता महसूस
करेंगे,जब हम पूर्णतया मानसिक और आध्यात्मिक
क्रांति की मनः स्थिति में होंगे, तब हम अवश्य
अपना हृदय, अपना मन और अपना समस्त
जीवन अपेक्षित दिशा में लगा पाएँगे। यहाँ
भय नहीं होता, नहीं उससे लगा कोई फँसाव ही।
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