स्पष्ट करते हैं कि प्रयत्नशील होना और श्रेष्ठ एवं
उत्कृष्ट आदर्श के लिए जीवन दे देना आत्महत्या नहीं है।
कष्ट सहना फलीभूत होता है। समस्त देश में
यतीन्द्रनाथ दास की मृत्यु के बाद एक विराट
और सर्वव्यापी आन्दोलन शुरू हो गया। हम
अपने लक्ष्य में सफल हुए। संघर्ष में मरना एक
आदर्श मृत्यु है। संघर्ष में मरना एक सुन्दर मृत्यु है।
आत्महत्या करना कायरों का काम है। जब तक फाँसी नहीं लगती है तब तक सेनानियों को इन्तजार करना है। इससे देश में क्रांतिकारी वातावरण तैयार होता है। इसके बाद फाँसी लगती है तो मृत्यु सुन्दर होगी। धैर्य से रहकर आत्महत्या को दूर ढकेल देना चाहिए।
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