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उत्तर :-- सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ने 'रोज'
 शीर्षक कहानी में यह संदेश दिया है कि कुछ परिस्थितियों में जीवन नीरस, सम्बन्ध शुष्क एवं 
अवसाद ग्रस्त हो सकते हैं। इन्हीं बातों को उठाना कहानीकार का उद्देश्य है ।

'रोज' शीर्षक कहानी के कहानीकार हिन्दी के 
शीर्षस्थ गद्यकार 'अज्ञेय' हैं। अज्ञेय आधुनिक 
साहित्य की एक प्रमुख प्रतिभा थे।

'रोज' अज्ञेय की सर्वाधिक चर्चित कहानी है क्योंकि
 इसमें 'संबंधों' की वास्तविकता को एकांत वैयक्तिक अनुभूतियों से अलग ले जाकर सामाजिक संदर्भ में 
देखा गया है। मध्यवर्ग की पारिवारिक एकरसता को जितनी मार्मिकता से कहानी व्यक्त कर सकी है
 वह इस युग की कहानियों में विरल है ।'

मालती दो वर्षों के वैवाहिक जीवन के 
बाद बदल  गयी है। उसे केवल कर्तव्यपालन और औपचारिकता-निर्वाह करना पड़ता है। उत्साह का 
सर्वथा अभाव-जीवन में आ जाता है। जीवन नीरस, उदास और यांत्रिक बन गया है।

पति महेश्वर अपनी डॉक्टरी में व्यस्त है। उसे रोज ऑपरेशन करना पड़ता है। प्यार दो वर्षों के बाद 
ठंडा पड़ जाता है। बुन्दे एक बच्चा है। वह रोज 
बिस्तर  से गिर पड़ता है।

पत्नी एक अखबार का टुकड़ा पढ़ती है। वह 
बाहर की दुनिया से जुड़ना चाहती है।

मित्र अतिथि भी औपचारिकता मात्र हो जाते हैं।

समासतः 'रोज' शीर्षक कहानी में जीवन की 
नीरसता और यांत्रिकता का स्वर मुखर हुआ है। 
यह जीवन की नियति है। अज्ञेय एक सफल 
कहानीकार के रूप में इस कहानी में उभरे हैं। 
सत्य है कहानी जीवन से जुड़ी रहती है।