उत्तर :--  अज्ञेय द्वारा रचित कहानी 'रोज' की नायिका मालती है। उसकी भूमिका कहानी के प्रारम्भ से लेकर अन्त तक है। कहानी कार ने मालती के जीवन की त्रासदी का ही चित्रण करना चाहा है।

मालती के जीवन में एकाकीपन व्याप्त है। वह घर में सन्नाटे में ही रहती है। उसका पति अस्पताल में गैंग्रीन ग्रस्त लोगों की टाँग प्रतिदिन काटता रहता है। 

मालती अपने आप में विस्मृत रहती है। वह अनैच्छिक, अनुभूतिविहीन, नीरस और यंत्रवत जीवन जीती है। उसमें प्रसन्नता और प्रफुल्लता नहीं है।

 उसमें मुस्कुराहट भी नहीं है, वह एक कुशल गृहिणी अवश्य है। नीरसता, ऊबाऊपन एवं एकाकी जीवन जीने के कारण मालती में संवेदनशीलता का हास हो गया। निष्कर्षतः मालती का चरित्र एकाकीपन भरा हुआ है। उसके जीवन में सन्नाटा छाया रहता है।